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Samas in Hindi : समास की परिभाषा क्या है और समास कितने प्रकार के होते हैं?


Samas in Hindi : समास की परिभाषा क्या है और समास कितने प्रकार के होते हैं?


Samas in Hindi : समास की परिभाषा क्या है और समास कितने प्रकार के होते हैं?

समास क्या है?
समास बांग्ला व्याकरण का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है। शैक्षणिक अध्ययन से लेकर विश्वविद्यालय प्रवेश या नौकरी की तैयारी तक सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में समास बहुत महत्वपूर्ण है। तो इस पोस्ट में हम समास को क्या कहते हैं? समास कितने प्रकार के होते हैं? आदि से समास के बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा।

समास की परिभाषा क्या है?
समास का अर्थ है अनेक पदों का मिलन, संकुचन या एक ही पद में बनना। अर्थात् दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर अर्थ और संबंध रखते हुए एक शब्द बन जाना समास कहलाता है।
उदाहरणार्थ: सिंह चिन्ह आसन = सिंहासन

समास क्या है या समास क्या है इस विषय पर चर्चा शुरू करने से पहले हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें जाननी होंगी। आइए देखें कि वे क्या हैं।

संपदा किसे कहते हैं?
समासबंध या समास निष्पन्न पाद सभी पादों का नाम है।
उदाहरण के लिए: सिंहासन.

समान शब्द किसे कहते हैं?
प्रत्येक पद जिसके साथ वह सर्वांगसम हो, समस्या पद कहलाता है।
जैसे: सिंह, आसन।

पूर्वसर्ग क्या है?
योग पद का अगला भाग परपद कहलाता है।
उदाहरणार्थ: सिंह पूर्ववृत्त है।

उत्तरापाड़ा या परपाड़ा क्या है?
सारांश पद के प्रथम भाग को परपद कहा जाता है।
जैसे: 'आसन' परपद है।

बास्वक्य, विग्रहवाक्य या समास वाक्य क्या कहलाता है?
जो वाक्यांश संसद्पाद या समासबंध पाद को तोड़ने से बनते हैं, उन्हें बासवाक्य, विग्रहवाक्य या समासवाक्य कहा जाता है।

उदाहरणार्थ: 'सिंह मर्कट आसन'।

समास कितने प्रकार के होते हैं? समास कितने प्रकार के होते हैं?
 ✅बांग्ला व्याकरण में समास मुख्यतः 6 प्रकार के होते हैं:-
1. द्वंद्व समास
2. कर्मधारय समास
3. तत्पुरुष समास
4. बहुब्रीहि समास
5. आव्यय भाव समास
6. द्विगु समास

1. द्वंद्व समास
जिन समास में प्रत्येक संस्यामन पद का अर्थ प्रधान होता है उन्हें द्वंद्व समास कहा जाता है। संघर्ष के संदर्भ में कृदंत और कृदंत के बीच संबंध दिखाने के लिए व्यासवाक में तीन पूर्वसर्गों "और, और, और" का उपयोग किया जाता है।

उदाहरण के लिए - भाई और बहन = भाई-बहन,
                            माता-पिता = माता-पिता।

✅   द्वंद्व समास अनेक प्रकार के द्वंद्व हैं। संघर्ष के मुख्य बिंदु हैं-

1)सुलह संघर्ष (चाची और पीसी = चाची-पीसी)
2)पर्यायवाची द्वंद्व (टोपी और बाजार = टोपी-बाजार)
3)विलोम शब्द (दा और कद्दू = दा -कद्दू)
4)अलुक संघर्ष (देश और विदेश में = देश और विदेश में)
5)आदि अर्थों में द्वंद्व (कपड़े और कपड़े=कपड़े
6)बहुपद द्वंद्व (पुस्तक, नोटबुक और कलम = पुस्तक - नोटबुक - कलम)

जैसे:-2. घटी- बढ़ी = घटी और बढ़ी
3. सुख – दुःख = सुख और दुःख
4. माता – पिता = माता और पिता
5. गाय – भैंस = गाय और भैंस
6. घी –  गुड़ = घी और गुड़
7. दाल – रोटी = दाल और रोटी
8. बेटा – बेटी = बेटा और बेटी
9. दूध  – रोटी = दूध और रोटी
10. माँ  – बाप = माँ और बाप

2. कर्मधारय समास
संज्ञा या विधेय के साथ विशेषण या विधेय जुड़े होते हैं और विधेय का अर्थ प्रधान होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे- चतुर तो चतुर = चतुर-चतुर

✅कर्मधारय समास 4 प्रकार के होते हैं.
1)मध्यपदलोपि समास
2)उछठैय समास
3)उपमित समास
4)रुपक समास
जैसे:- 2. नीलकमल – नीला है जो कमल
3. पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम
4. परमानंद – परम है जो आनंद
5. भलामानस – भला है जो मानस
6. लालटोपी – लाल है जो टोपी
7. महाविद्यालय – महान है जो विद्यालय
8. अधपका – आधा है जो पका
9. महाराज – महान है जो राजा
10. पीतांबर – पीत है जो अंबर

3.तत्पुरुष समास 
इस समास में प्रथम शब्द (पद) गौण तथा द्वितीय पद प्रधान होता है; उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। कारक तथा अन्य आधार पर तत्पुरुष के निम्न्लिखित भेद होते हैं-
✅तत्पुरुष समास 9 प्रकार के होते हैं
1)द्वितीय तत्पुरुष/कर्म तत्पुरुष
2) तृतीय तत्पुरुष /करण तत्पुरुष
3) चतुर्थी तत्पुरुष/ सम्प्रदान तत्पुरुष
4) पंचामी तत्पुरुष/अपादान तत्पुरुष
5) सष्ठी तत्पुरुष / संबंध तत्पुरुष
6) सप्तमी तत्पुरुष/ अधिकरण तत्पुरुष
7) नहीं तत्पुरुष
8) उपपद तत्पुरुष
9)अलुक तत्पुरुष समास

(1)   कर्म तत्पुरुष – को परसर्ग (विभक्ति कारक चिह्नों) का लोप होता है। जैसे-

  •         समस्त पद             विग्रह
  •          बसचालक               बस को चलाने वाला
  •          गगनचुंबी                गगन को चूमने वाला
  •          स्वर्गप्राप्त                स्वर्ग को प्राप्त
  •          माखनचोर               माखन का चुराने वाला।

(2)   करण तत्पुरुष – इसमें ‘से’, ‘द्वारा’ परसर्ग का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          मदांध                     मद से अंध।
  •          रेखांकित                 रेखा द्वारा अंकित
  •          हस्तलिखित             हाथ से लिखित
  •          कष्टसाध्य                कष्ट से साध्य

 (3)  सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘को’ ‘के लिए’ परसर्ग को लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          हथकड़ी                  हाथ के लिए कड़ी।
  •          परीक्षा भवन            परीक्षा के लिए भवन।
  •          हवनसामग्री             हवन के लिए सामग्री।
  •          सत्याग्रह                  सत्य के लिए आग्रह।

(4)   अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          पथभ्रष्ट                    पथ से भ्रष्ट
  •          ऋणमुक्त                ऋण से मुक्त
  •          जन्मान्ध                   जन्म से अंधा।
  •          भयभीत                   भय से भीत ।

(5)   सम्बन्ध तत्पुरुष– इसमें ‘का, की, के, और रा, री, रे’ परसर्गाें का लोप हो जाता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          घुड़दौड़                   घोंडों की दौड़
  •          पूँजीपति                  पूँजी का पति
  •          गृहस्वामी                गृह का स्वामी
  •          प्रजापति                  प्रजा का पति

(6)   अधिकरण तत्पुरुष – इसमें से कारक की विभक्ति में/पर का लोप हो जाता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          शरणागत                शरण में आगत
  •          आत्मविश्वास            आत्मा पर विश्वास
  •          जलमग्न                    जल तत्पुरुष
  •          नीतिनिपुण              नीति में निपुण

7. ना तत्पुरुष : (नहीं, नहीं, नहीं, नहीं) पूर्व में बैठता है।
उदाहरण: सुख नहीं = दुःख
कोई कानून नहीं = अराजकता
बहुत लंबा नहीं = नातिदिर्गा
वर्षा न होना = वर्षा न होना

8. उपपाद तत्पुरुष :उपपद के साथ कृदंत पाद के समास को उपपद का तत्पुरुष समास कहा जाता है।
उदाहरणार्थ: जल चरना = जल चरना
जो जमीन पर चलता है = स्थलचर
मधु पीता है वह = मधुप
जादू से वह=जादूगर

9. अलुक तत्पुरुष समास : तत्पुरुष समास में विभाग लुप्त हो गया है पूर्वपद, अलुक तत्पुरुष कहते हैं समास।
उदाहरणार्थ: हाथ से काटना = हाथ से काटना
तेल में तला हुआ = तेल में तला हुआ
वाचनालय = वाचनालय
घानी तेल = घानी तेल

4.बहुब्रीहि समास 
जो समास किसी भी पद का कोई अन्य अर्थ बताये बिना ही उसका अर्थ बता दे, उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।
उदाहरणार्थ: बहुब्रीही (धान) है जो = बहुब्रीही।
✅बहुब्रीहि समास आठ प्रकार के होते हैं
1) समनाधिकरण बहुब्रीहि
3) वाधीकरण बहुब्रीहि
3) व्यतिहार बहुब्रीहि
4) मध्यपादलोपि बहुब्रीहि
5) अलुक बहुब्रीही
6) नैन बहुब्रीही
7)सार्थक सकारात्मक बहुब्रीहि
 8) संख्यात्मक

1. समाणाधीकरण : पूर्वपद एक विशेषण है और सहायक एक संज्ञा है।
उदाहरणार्थ: जला हुआ माथा = जला हुआ माथा
पुण्य आत्मा जहर = पुण्यात्मा

2. व्याधिकरण बहुब्रीहि : पुरपद और परपद दोनों संज्ञा हैं।
उदाहरण : नदी माता जरे = नदीमातृक
पद्म नाभि जरे = पद्मनाभ
उरना नवित जरे = उरनावा

3. व्यतिहार बहुब्रीहि : समान पद का अर्थ समान कार्य से द्वैत है। दूसरी ओर, बहुब्रीहि समास जो दो समान संज्ञाओं के साथ एक ही क्रिया का बोध कराते हैं, व्यतिहार बहुब्रीही समास कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ: छड़ी से छड़ी की लड़ाई = छड़ी से छड़ी
कान में क्या कहा जाता है= फुसफुसा कर

4. मध्यपदलोपि बहुब्रीहि : वाक्य की व्याख्या करने वाला कोई भी शब्द हटा दिया गया है।
उदाहरण : चन्द्र का न्याय वदना जो = चन्द्रवदना।
हिरणी की आँखों जैसी आँखें

5. अलुक बहुब्रीही :विभाजन की कोई इच्छा नहीं है।
उदाहरणार्थ : सिर पर पगड़ी = सिर-पगड़ी
हाथ की बेड़ियाँ = हाथ की बेड़ियाँ

6. ना बहुब्रीहि : ना पद से पहले बहुब्रीही समास यानी नार्थक पूर्वसर्ग के साथ संज्ञा पद के साथ बहुब्रीही समास, नैन बहुब्रीहि समास कहते हैं।
उदाहरण: जिसका कोई भय न हो=निर्भय हो
कोई मतलब नहीं जो=मूर्ख

7. सार्थक सकारात्मक : सजातीय या सजातीय विशेषण वाली संज्ञा। बहुब्रीहि समास को सार्थक बहुब्रीही समास कहा जाता है।
उदाहरण के लिए: परिवार के साथ = परिवार
आदर सहित = आदर सहित
पुत्र के साथ उपस्थित = पुत्र
पत्नी के साथ उपस्थित = पत्नी

8. संख्यात्मक बहुवचन : पूर्वसर्ग में संख्यात्मक और पश्चातपद में संज्ञा।
उदाहरण: चाउ (चार) लकड़ी जो = लकड़ी
चौ (चार) सड़क जो = चौराहा
जिसका दस आनन = दशानन
पंच आनन जारी = पंचानन

5. आव्ययी भाव समास
जिस समास के पूर्वपद में उपसर्ग हो और पूर्वसर्ग का अर्थ प्रमुख हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
जैसे:- 
2.   यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार 
3. ✦ यथासाध्य – जितना साधा जा सके 
4. ✦ यथासंभव – जैसा संभव हो 
5. ✦ यथाक्रम – जैसा क्रम हो / क्रम के अनुसार 
6. ✦ यथाविधि – जैसा विधि सुनिश्चित है 
7. ✦ यथास्थान – जो स्थान निर्धारित है 
8. ✦ यथोचित – जैसा उचित है 
9. ✦ यथानुरूप – उसी के अनुरूप 
10. ✦ यथामति – जैसी मति है 
6. द्विगु समास 
समुच्चय के अर्थ में अंक शब्द के पहले लगने वाले संज्ञा शब्दों के योग को द्विगु समास कहते हैं। परपद का अर्थ मुख्य है।
उदाहरण : चौदह पुरुषों का समाहार = चौदह पुरुषों का समाहार
जैसे:- 2. त्रिरात्र  – तीन रातों का समूह 
3. दशाब्दी – दस वर्षो का समूह 
4. चतुष्पदी – चार पदों का समूह
5. त्रिलोकी  – तीन लोको का समूह 
6. नवरात्र – नौ रातों का समूह (द्विगु समास )
7. त्रिकाल – तीन कालो का समूह
8. पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम ( कर्मधारय समास )
9. मुनिवर – मुनियो में है श्रेष्ठ जो
10. शताब्दी – सौ अब्दों (वर्षों ) का समूह 

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